तू पहचान बेच डाला... kavita
मेरे साथ तूने रहकर, दिले अरमान बेच डाला मैं हैरान रह गया बस, तू पहचान बेच डाला.....I तू चैन से हो किंतु, मेरी शान मिट गई है, बेबस तड़प रहा हूं, मेरी जान बेच डाला....II अरमान बिक रहा है, ईमान बिक रहा है, आओ कोई खरीदो, जहान बेच डाला...... lll कोई फैसला करो जरा, मेरा यार लुट गया है, मुझसे बिना बोले कोई, मेरा प्यार बेच डाला......llll मैं हैरान रह गया, तू पहचान बेच डाला.. रचना... प्रेमचंद साव कोलकाता